रविवार, 15 जनवरी 2012

मैं , क्षणिक सा हूँ |

मैं
क्षणिक सा हूँ
ओस की ज्यों बूँद
पत्तों पर,
मोती सा दिखता हूँ
लेकिन
बरसात में बरसा  ज्यों  पानी
मैं
धरा पर हूँ |

मैं
पथिक सा हूँ
घर में रहता हूँ
मगर
घर का मलिक  मैं नहीं हूँ
मैं
चकित सा हूँ |

मैं
व्यथित  सा हूँ
खुश नज़र आता हूँ
लेकिन
खुश नहीं हूँ मैं
मैं
ना जाने क्यों
भ्रमित सा हूँ |

राजीव जायसवाल
१५/०१/२०१२

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