सोमवार, 17 अक्टूबर 2011

माया माया , मन भरमाया |

माया माया
मन भरमाया
योग , ध्यान
कुछ काम ना आया
जब माया ने
तीर चलाया
माया माया
मन भरमाया |

मन को कभी
काम ने घेरा
राम नाम का
रस बिसराया
कोमल बदन
काजर नयन
प्रेम पाश फँस
जानम प्रीत में
जन्म गँवाया
माया माया
मन भरमाया |

मन को कभी
रुपईया भाया
सुबह शाम
धन खूब कमाया
धर्म ना जाना
मर्म ना जाना
पैसा पैसा
पास में आया
अंत समय
जब चला बावरा
खाली हाथ
कुछ साथ ना जाया
माया माया
मन भरमाया |
राजीव
१८/१०/२०११
माया मुई, ना मन मुआ
मर मर गया शरीर
आशा तृष्णा
ना मरी
कह गये
दास कबीर |

Maya clings to the mind and causes it to waiver in so many ways.
 O Lord, when you restrain someone from asking for wealth , then O Nanak , he comes to love the name.
SGGS

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें