तुम ही मेरी
सुरा औ साकी
तुम ही मेरी
मदिरा प्याला
तुम मेरी
मधु मधुशाला
तुम ही
मय की हाला हो |
तुम ही मेरी
प्रणय देविका
तुम ही मेरी
प्रीत चंद्रिका
तुम ही मेरी
नयन ज्योतिका |
तुम ही
ज्योति उजाला हो |
तुम ही मेरी
प्रेम प्रेरणा
तुम ही मेरी
प्रणय कामना
तुम ही मेरी
भाव भावना
तुम ही
काम की ज्वाला हो| |
राजीव
२०/०९/२०११
<photo id="1" />
सुरा औ साकी
तुम ही मेरी
मदिरा प्याला
तुम मेरी
मधु मधुशाला
तुम ही
मय की हाला हो |
तुम ही मेरी
प्रणय देविका
तुम ही मेरी
प्रीत चंद्रिका
तुम ही मेरी
नयन ज्योतिका |
तुम ही
ज्योति उजाला हो |
तुम ही मेरी
प्रेम प्रेरणा
तुम ही मेरी
प्रणय कामना
तुम ही मेरी
भाव भावना
तुम ही
काम की ज्वाला हो| |
राजीव
२०/०९/२०११
<photo id="1" />
सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएं