मुझ से बिन बोले
रह पाओगी क्या
मेरी खामोशी
सह पाओगी क्या
रात तुम तन्हा
सो पाओगी क्या
मुझ से तुम गुमसूम
रह पाओगी क्या |
चेहरा उतरा सा
कजरा बिखरा सा
नयन सूजे से
गाल फूले से
कितनी गुस्सा हो
है मुझे अहसास
ना अभी मानोगी
है मुझे अंदाज़ |
मुझ से रूठी हो
सज़ा मुझ को दो
खुद को तडपा कर
ज़ुल्म ऐसे ना करो
या कहो मुझ से
मुझे ना प्यार क्या तुम से |
राजीव जायसवाल
31/08/2011
रह पाओगी क्या
मेरी खामोशी
सह पाओगी क्या
रात तुम तन्हा
सो पाओगी क्या
मुझ से तुम गुमसूम
रह पाओगी क्या |
चेहरा उतरा सा
कजरा बिखरा सा
नयन सूजे से
गाल फूले से
कितनी गुस्सा हो
है मुझे अहसास
ना अभी मानोगी
है मुझे अंदाज़ |
मुझ से रूठी हो
सज़ा मुझ को दो
खुद को तडपा कर
ज़ुल्म ऐसे ना करो
या कहो मुझ से
मुझे ना प्यार क्या तुम से |
राजीव जायसवाल
31/08/2011
बहुत सुंदर कोमल एहसास से भरी रचना ..
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनायें..
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .....
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