जीवित ना रहो
मृतक से   हो जाओ ,
कुछ भी ना करो ,
सिर्फ खो जाओ |
कुछ भी ना दिखे
सभी कुछ  खो जाए
सभी कुछ दिखे ,
ऐसा कुछ  हो जाए |
उजाला ना रहे ,
अँधेरा भी ना हो ,
दोपहरी  ना रहे ,
सवेरा  भी ना हो |
 |
अगन सी एक जले ,
जलन पर ना करे ,
बर्फ सी एक जमे ,
मगर शीतल ना हो |
कोई भी  गाए ना
मगर गायन सुनें ,
कोई भी नाचे ना  ,
मगर नर्तन दिखे |
साज कुछ ना बजे
मगर  कीर्तन सुनें
पास कुछ ना रहे
मगर  सब धन मिले |
कोई भी आए ना ,
मगर आगमन हो ,
कहीं भी जाएं ना ,
जगत का भ्रमण हो |
शून्य ये तन बने ,
व्यापत  कण कण में हो ,
शोक कुछ भी ना हो
मोक्ष  को प्राप्त हो |
---------------------------राजीव
जीवन से मरना भला
जो  मरि जा नै कोय |
मरना पाहिले जो म रै
अजर अमर सो होय |
---------------------------संत कबीर 
<photo id="1" />

 
 
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें