इंतज़ार
तेरा
किए
कई
युग गए
नहीं तुम मिले |
हज़ारों मिले
मगर
प्रिय तुम
से
सभी
कम मिले |
कभी
ये मिले
कभी वो मिले ,
जिन
को था मिलना
नहीं वो मिले ,
नयन
भी थके
युगों
तक तके |
कोई
ना मिला
समझ
जो सके
मेरे
बिन कहे,
जो
मुझे पढ़े
मैं
जिसे पढ़ुँ ,
मन
मेरा छुए
तन
मेरा छुए |
कोई
मुझ सा हो
मुझ
सा जो सोचे ,
मेरे
संग रहे
दुख
मेरे सहे
सुख
मेरे सहे ,
मुझ
से सब कहे
मेरी
सब सुने |
कई
युग गए
नहीं तुम मिले |
राजीव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें