ना
कोई हँसाता है
किसी
को
ना
कोई रुलाता है
किसी
को ,
सब
उस का खेल तमाशा है
कभी
हँसाता है
किसी
को
कभी
सताता है
किसी
को |
तू
है क्या
खेल
खिलौना है ,
मलिक
के आगे
बौना
है ,
ले
लाख बना तू मंसूबे ,
जो
होना है
सो
होना है |
ये
भी कर लूँ
वो
भी कर लूँ ,
घर
अपना
पैसे
से भर लूँ ,
मूरख
कितना नादान है तू
ना
साथ तेरे
कुछ
जाना है |
राजीव
१८/०४/२०१२
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें