Rajiv Jayaswal
मंगलवार, 22 मई 2012
मन तृष्णा न जाए |
मन
भूखा
भू
भू
करे
लाख
पूड़ियाँ
खाए
भूखे
का
भूखा
रहे
मन
तृष्णा
न
जाए
|
My innerself never gets contentment , it,s hunger for material pleasures is never satisfied.
1 टिप्पणी:
ANULATA RAJ NAIR
30 जून 2012 को 6:10 am बजे
एक दम सटीक बात.............
अनु
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एक दम सटीक बात.............
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