सोमवार, 14 मई 2012

हर , हर , हर करते रहो , रूप , हरि हो जाओ |

 कोई कहे मैं ब्रह्मना
कोई कहे मैं सिख ,
कोई जैन , बुद्ध है रहा
कोई कहे  मैं ख्रीस्त |

कोई बोले खत्री
कोई कहे मैं जाट ,
कोई बनिया है रहा ,
कोई कहे मैं शूद्र |
कोई घूमे तीर्था
कोई मांगे भीख ,
कोई समागम कर रहा ,
कोई कीर्तन गीत |
 कोई बजावे चिमटा
कोई बजावे ढोल ,
कोई रम्या राम में ,
कोई तपस्या घोर |

कोई गुरु को पूजता
कोई शबद धुन गाए
कोई चर्च को जा रहे
कोई नाम धुन गाए |

 कण कण में
हरि बस रहा  ,
चाहे जैसे ध्याओ ,
हर , हर , हर करते रहो ,
रूप , हरि हो जाओ |
 


राजीव
१४/०५/२०१२




















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