सकल जगत
तुम हो विराजमान |
सूर्य , तारे
चंद्र , ग्रह सारे ,
तुम से ही सब
चलायमान ,
तुम्हें प्रणाम
तुम्हें प्रणाम |
आस में हो
आस में हो
साँस में हो ,
रुदन में
अट्टहांस में हो
मिलन में
सहवास में हो ,
तुम्हें प्रणाम
तुम्हें प्रणाम |
हार में हो
हार में हो
जीत में हो ,
घृणा में हो
प्रीत में हो ,
रुदन में
संगीत में हो ,
तुम्हें प्रणाम
तुम्हें प्रणाम
राजीव जायसवाल
राजीव जायसवाल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें