अब कहीं भी रोक कर मुझ को
करो इज़हार अपने प्यार का,
मैं मान जाउंगी |
भूल जाओ बात बीती,
हारकर खुद को
तुम्हारा प्यार जीती |
जीत कर मुझ को
करो इज़हार अपने प्यार का
मैं मान जाउंगी|
देख कर तुम को नहीं मैं देख पाई
नयन में फिर भी
तुम्हारी छवि समाई,
चूम कर मेरे नयन ,
करो इज़हार अपने प्यार का,
मैं मान जाउंगी|
मैं प्रणय का अर्थसमझी देर से
अब देर तुम क्योंकर रहे हो ,
घेर कर मुझ को ,
करो इज़हार अपने प्यार का
मैं मान जाउंगी|
---------------rajiv
---------------rajiv
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें