चलो
आज
मन के
पार चलें
जहाँ
रंग
ना रूप
जहाँ
छाया
ना धूप
जहाँ
घर
ना परिवार
जहाँ
मेला
ना त्योहार
जहाँ
मृत्यु
ना रोग
जहाँ
विषाद
ना सोग
जहाँ
साथी
ना संग
जहाँ
काया
ना अंग |
जहाँ
आदि
ना अंत
जहाँ
शीत
ना बसंत
जहाँ
मेघ
ना मल्हार
जहाँ
काज
ना व्यापार
जहाँ
माया
ना जाल
जहाँ
दीन
ना कॅंगाल |
जहाँ
अतुलित
आनंद
जहाँ
आलोकिक
छन्द
जहाँ
ओम
का आलाप
जहाँ
जहाँ
ओंकार
नाद
जहाँ
नीलाभ
आकाश
जहाँ
प्रेमिल
प्रकाश|
चलो
आज
मन के
पार चलें
राजीव
०८/०४/२०१२
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