शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

सुबह तक |

आहट सी हुई
दिल के आँगन में
कौन आया है
आज प्रांगण में |
रात जागी है
बात बाकी है
सुबह तक करें
प्यार की बातें
तुम मुझे ले कर
मैं तुम्हें ले कर
अपनी बाहों में |

पास कोई ना हो
रात मदहोश हो
होश ,बेहोश हो
हम से तुम कुछ कहो
पल भी चुप ना रहो
मेरे पागल प्रणय
को भी हंस कर सहो |

भोर होने लगे
शोर होने लगे
तुम लिपट कर गले
साथ सोना प्रिय
दिन में सोते रहें
रात जगते रहें
लोग हम को
 दीवाना समझते रहें
हम जमाना दीवाना
समझते रहें |
राजीव
०२/०९/२०११



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